शनिवार, 24 सितंबर 2011
शौर्य गाथा, भक्ति व ज्ञान की त्रिवेणी माता दुर्गा
-पंडित शारदा प्रसाद द्रिवेदी के बताये अनुसार

- ऐश्वर्य प्राप्ति एवं भय मुक्ति मंत्र
ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः।
शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै॥
- सर्वकल्याण मंत्र
सर्व मंगलं मांगल्ये शिवे सर्वाथ साधिके ।
शरण्येर्त्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥
- सर्वविघ्ननाशक मंत्र
सर्वबाधा प्रशमनं त्रेलोक्यसयाखिलेशवरी।
एवमेय त्याया कार्य मस्माद्वैरि विनाशनम्॥
- बाधा मुक्ति एवं धन-पुत्र प्राप्ति का मंत्र
सर्वाबाधा वि निर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय॥
- सौभाग्य प्राप्ति का चमत्कारिक मंत्र
देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि॥
- विपत्ति नाशक मंत्र
शरणागतर्दनार्त परित्राण पारायणे।
सर्व स्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोऽतुते॥
कैसे करें जाप - नवरात्रि के प्रतिपदा के दिन घटस्थापना के बाद संकल्प लेकर प्रातः स्नान करके दुर्गा की मूर्ति या चित्र की पंचोपचार या दक्षोपचार या षोड्षोपचार से गंध, पुष्प, धूप दीपक नैवेद्य निवेदित कर पूजा करें। मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें। शुद्ध-पवित्र आसन ग्रहण कर रुद्राक्ष, तुलसी या चंदन की माला से मंत्र का जाप एक माला से पाँच माला तक पूर्ण कर अपना मनोरथ कहें। पूरी नवरात्रि जाप करने से वांच्छित मनोकामना अवश्य पूरी होती है। उपरोक्त सारे मंत्र विधिनुसार करने पर मनुष्य अपने सारे पापों और कष्टों को दूर करके माता का आशीर्वाद का पात्र बन जाता है। नवरात्रि में संयमपूर्वक की गई प्रार्थना और भक्ति माता स्वीकार करती है और साथ ही अपने भक्तों के कष्टों का निवारण करते हुए उन्हों मोक्ष प्राप्ति का मार्ग दिखाती है।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
0 टिप्पणियाँ (+add yours?)
एक टिप्पणी भेजें